राजस्थान पुलिस की अनूठी पहल: ‘सद्भावना अभियान’ में गोद लिए स्कूल, बच्चों को खाकी से जोड़ा

Sep 12, 2025 - 11:44
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राजस्थान पुलिस की अनूठी पहल: ‘सद्भावना अभियान’ में गोद लिए स्कूल, बच्चों को खाकी से जोड़ा


जयपुर

राजस्थान पुलिस ने एक अनूठा अभियान शुरू किया है। बच्चों के मन से पुलिस का डर निकालकर उनमें भरोसा जगाने और समाज में सद्भावना फैलाने के उद्देश्य से प्रतापगढ़ पुलिस ने ‘सद्भावना अभियान’ की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत जिले के हर थाना प्रभारी ने एक-एक राजकीय स्कूल को गोद लिया है, जहां वे बच्चों के साथ सीधे संवाद कर पुलिस और बच्चों के बीच विश्वास और सहयोग का पुल बनाएंगे।

बच्चों और पुलिस के बीच संवाद का सेतु
इस पहल के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को यह सिखाया जाएगा कि वे बेझिझक पुलिस की मदद कैसे ले सकते हैं और किसी भी अपराध या समस्या की जानकारी कैसे दे सकते हैं। महीने में एक बार छात्र पुलिस स्टेशन का दौरा करेंगे, जहां उन्हें थाना परिसर, महिला डेस्क, साइबर डेस्क आदि के बारे में बताया जाएगा।

महिला कांस्टेबल द्वारा विशेष परामर्श
महिला कांस्टेबल्स बच्चों को POCSO एक्ट, सोशल मीडिया का दुरुपयोग, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, मानसिक स्वास्थ्य और नशा मुक्ति जैसे विषयों पर जागरूक करेंगी। साथ ही बच्चों और महिलाओं के कानूनी अधिकारों तथा नए आपराधिक कानूनों की व्यावहारिक जानकारी भी दी जाएगी।

शिक्षा को प्रोत्साहन और करियर गाइडेंस
अभियान के तहत छात्रों को बैग, स्टेशनरी और पुस्तकें भी वितरित की जाएंगी। 'सुरक्षा सखी' को बच्चों की पहली संपर्क सूत्र के रूप में नामित किया गया है ताकि वे अपनी समस्याएं खुलकर साझा कर सकें। समय-समय पर करियर गाइडेंस और शैक्षिक अवसरों की जानकारी भी दी जाएगी।

अभियान की शुरुआत 9 सितंबर को राजकीय विद्यालय, मनोहरगढ़ से हुई, जहां कक्षा 1 से 12 तक के 600 से अधिक छात्र हैं। छोटे बच्चों को स्कूल बैग व स्टेशनरी वितरित की गई, जबकि वरिष्ठ छात्रों को पुलिस स्टेशन का भ्रमण कराया गया। इस दौरान शिक्षकों ने भी पुलिस से संवाद किया और विद्यालय संबंधी मुद्दों पर चर्चा की।

एसपी बोले– SHO बनेंगे बच्चों के मार्गदर्शक
प्रतापगढ़ एसपी बी. आदित्य ने कहा- हर SHO ने स्वेच्छा से अपने गोद लिए स्कूल को अपराध मुक्त और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी ली है। यह अभियान बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर बच्चों में पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा करेगा। जब बच्चे हमारे पास आने से झिझकते हैं, तब हमने खुद पहला कदम उठाने का निश्चय किया ताकि समाज में वास्तविक ‘सद्भावना’ स्थापित हो सके।

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