आईएमए जेडीएन ने स्वास्थ्य मंत्री नड्डा को पत्र, नीट-एसएस कट-ऑफ कम करने की अपील

Jun 23, 2025 - 12:44
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आईएमए जेडीएन ने स्वास्थ्य मंत्री नड्डा को पत्र, नीट-एसएस कट-ऑफ कम करने की अपील

नई दिल्ली,

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को डॉक्टर्स ने नीट-एसएस की कट-ऑफ को लेकर पत्र लिखा है। भारतीय चिकित्सा संघ के जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने मांग की है कि नीट-एसएस की कट-ऑफ को कम किया जाए। इन डॉक्टर्स का कहना है कि हाई कट-ऑफ के कारण अनेक अत्यंत योग्य और प्रतिबद्ध उम्मीदवारों को अवसर से वंचित होना पड़ रहा है।

जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने पत्र में लिखा, “देश के कई संस्थानों में सुपर स्पेशियलिटी की सीटें खाली होने के बावजूद नीट-एसएस 2025 में उच्च योग्यता प्रतिशत के कारण अनेक काबिल और समर्पित अभ्यर्थी को वर्तमान में अवसर से वंचित होना पड़ रहा है। अब तक नीट-एसएस के दो काउंसलिंग राउंड हो चुके हैं, फिर भी कई सीटें खाली हैं।”

लेटर के जरिए डिमांड रखते हुए डॉक्टर्स ने लिखा, “हम अनुरोध करते हैं कि पहले की तरह इस बार भी कट-ऑफ पर्सेंटाइल में सहानुभूतिपूर्ण और विवेकपूर्ण कटौती की जाए। कई ऐसे योग्य उम्मीदवार हैं जो कट-ऑफ से थोड़ा पीछे रह जाते हैं, लेकिन पूरी तरह से सक्षम और सुपर स्पेशियलिटी ट्रेनिंग करने के इच्छुक होते हैं। आने वाली काउंसलिंग राउंड में कट-ऑफ कम करने से इन डॉक्टरों को स्वास्थ्य सेवाओं में सार्थक योगदान का अवसर मिल सकेगा।”

आईएमए जेडीएन ने आगे लिखा, “रिक्त सुपर स्पेशियलिटी सीटें न सिर्फ कैंडिडेट्स, बल्कि पूरे स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक चूका हुआ अवसर हैं। यदि कट-ऑफ में कमी की जाती है तो इन सीटों को भरा जा सकता है, जिससे भारत के अलग-अलग, खासतौर पर ग्रामीण और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ेगी।”

जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने ये भी कहा है कि कट-ऑफ प्रतिशत को कम करने से स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता से समझौता नहीं होता है। डॉक्टर्स ने पत्र में लिखा, “संशोधित कट-ऑफ के आधार पर चयनित सभी उम्मीदवार फिर भी नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के न्यूनतम योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं। इसके अलावा वो मान्यता प्राप्त संस्थानों में अनुभवी फैकल्टी के अंतर्गत कठोर प्रशिक्षण हासिल करते हैं, जिससे हेल्थकेयर और चिकित्सीय दक्षता के मानक बने रहते हैं।”

पत्र में लिखा गया है, “मंत्रालय, एनएमसी या एनबीई की ओर से एक औपचारिक दिशा-निर्देश या सूचना यदि इस विषय पर जल्दी जारी की जाती है तो इससे परीक्षार्थियों को स्पष्टता मिलेगी और व्यवस्था की पारदर्शिता पर उनका विश्वास दृढ़ होगा।”

 

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