ट्रंप और नोबेल: क्यों नहीं मिली दुनिया की सबसे बड़ी शांति मान्यता?

Oct 10, 2025 - 14:44
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ट्रंप और नोबेल: क्यों नहीं मिली दुनिया की सबसे बड़ी शांति मान्यता?

वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला है। इस साल का सम्मान मारिया कोरिना नाचाडो को मिला है, जो वेनेजुएला की विपक्षी नेता हैं। अब उनका नाम डोनाल्ड ट्रंप के साथ लिया जा रहा है कि आखिर वह कैसे नोबेल सम्मान पा गईं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति चूक गए। डोनाल्ड ट्रंप के लिए लगातार लॉबिंग हो रही थी। पाकिस्तान की ओर से उनके नाम का नॉमिनेशन हुआ था। इसके अलावा नेतन्याहू समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इसकी पहल की थी। फिर भी उन्हें सम्मान नहीं मिला। मीडिया की सुर्खियां भी यही हैं कि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति सम्मान नहीं मिला है।

इसकी वजह यह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने इसी साल 19 जनवरी को कमान संभाली थी। नोबेल पुरस्कार के लिए एंट्री 31 जनवरी तक ही मांगी गई थीं। उसके बाद भेजी गईं एंट्रीज पर विचार नहीं किया जाता है। डोनाल्ड ट्रंप के केस में ऐसा ही हुआ है। उन्होंने 19 जनवरी को कमान संभाली थी और महज 12 दिन बाद नामांकन की प्रक्रिया बंद हो गई थी। डोनाल्ड ट्रंप जिन 8 जंगों को रुकवाने का श्रेय लेते हुए नोबेल पुरस्कार की मांग रख रहे हैं, वे 31 जनवरी के बाद की उपलब्धियां हैं। ऐसे में अब उनके नाम पर 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए विचार हो सकता है, लेकिन इस साल के लिए वह पात्र ही नहीं थे। इसलिए उनके नाम पर कमेटी ने विचार तक नहीं किया।

डोनाल्ड ट्रंप के माम दावों के बाद भी उनके नाम पर विचार ना किए जाने को लेकर जब नोबेल कमेटी के चेयरमैन जॉर्गन वाटने फ्रिडनिस से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका फैसला तो काम के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार निर्णय होता है। उन्होंने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार के लंबे इतिहास में कभी भी इस समिति ने मीडिया अटेंशन या फिर प्रचार नहीं देखा। हमें हर साल हजारों पत्र मिलते हैं और दावा किया जाता है कि वे कौन-कौन सी उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं, जिसके लिए उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। फिर भी हमारी मान्यता यही है कि किसी भी एंट्री पर कामकाज के आधार पर ही विचार करेंगे। ऐसा ही होता भी है।

नोबेल समिति के जानकारों का कहना है कि हम इस बात को प्राथमिकता देते हैं कि दावेदार के प्रयास कैसे थे और उनमें क्या निरंतरता थी। हेनरी जैकसन सोसायटी के रिसर्च फेलो और इतिहासकार थिओ जेनोउ ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के जिन प्रयासों की बात की जा रही है, उनका असर ज्यादा समय तक नहीं रहने वाला है। उन्होंने कहा कि किसी समस्या को समाप्त करना और उसे कुछ समय के लिए रोकना अलग-अलग चीजें हैं। शॉर्ट टर्म उपायों के आधार पर नोबेल समिति में पुरस्कार के लिए विचार नहीं किया जाता।

 

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