‘2 साल से फिल्म रिलीज नहीं हुई, टॉप 10 में भी नहीं हूं... फिर भी संतुष्ट हूं’ – बोलीं सामंथा

Sep 11, 2025 - 14:14
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‘2 साल से फिल्म रिलीज नहीं हुई, टॉप 10 में भी नहीं हूं... फिर भी संतुष्ट हूं’ – बोलीं सामंथा

मुंबई 

साउथ की सुपरस्टार एक्ट्रेस सामंथा रूथ प्रभु, ऑटोइम्यूम बीमारी मायोसाइटिस से जूझ रही हैं. धीरे-धीरे वो रिकवर हो रही हैं. बॉडी में एक्सरसाइज और डायट से स्ट्रेन्थ ला रही हैं. हाल ही में सामंथा, एक इवेंट अटेंड करने के लिए दिल्ली आईं. उन्होंने करियर और लाइफ के प्रति जो उनका आउटलुक बदला है, इसपर बात की. 

सामंथा की बदली जिंदगी
सामंथा ने बताया कि वो फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन किसी रैट रेस का हिस्सा नहीं हैं. टॉप फिल्में भले ही कितना भी कलेक्शन कर लें, एक्ट्रेस को इससे कोई मतलब नहीं है. साथ ही न वो कोई प्रेशर महसूस करती हैं. सामंथा ने कहा- मैं जो पहले इंसान थी, वो अगर आज होती तो शायद मैं चाहती कि मेरी एक साल में पांच फिल्में तो रिलीज हों. क्योंकि यही एक सक्सेसफुल एक्टर का काम करने का रैवेया होता है. 

"आपके पास पांच फिल्में साल की होनी चाहिए. उनमें से एक तो ब्लॉकबस्टर देनी ही होगी. तब जाकर आप खुद को टॉप 10 एक्टर्स की लिस्ट में ला सकते हो. इसके साथ ही टॉप ब्रैंड्स को एंडॉर्स आपको करना होगा. लेकिन मेरे लिए अब ये सबकुछ मायने नहीं रखता है. मेरी पिछले दो साल में एक भी फिल्म रिलीज नहीं हुई है. मैं टॉप 10 एक्टर्स की लिस्ट में आने को लेकर बिल्कुल भी इच्छुक नहीं हूं. मेरे पास कोई 1000 करोड़ कमाने वाली फिल्म भी नहीं है. पर मैं इन सबके बावजूद बहुत खुश हूं. इतनी कि शायद आज से पहले कभी खुशी महसूस नहीं की है."

एक्ट्रेस ने क्या किए जिंदगी में बदलाव?
"मैं जब पुराने वाली सामंथा को देखती हूं तो डर जाती हूं. मैं इतनी नाजुक थी. हर फ्राइडे तो चीजें बदलती हैं. जिससे मुझे घबराहट होती थी. मेरी पोजीशन शायद कल मेरी न रहे. मैं शायद रिप्लेस हो जाऊं. मेरी पूरी सेल्फ वर्थ फ्राइडे पर निर्भर करती थी. पर मैंने अपनी लाइफ में कुछ छोटा-छोटे बदलाव किए हैं. मैंने अपनी एक डायरी रखी है, जिसमें मैं हर ग्रेटफुल चीज के बारे में लिखती हूं जो रोजमर्रा में होती है."

"मैं जानती हूं कि मेरे कई फॉलोअर्स मुझे ग्लैमरस लाइफ के लिए फॉलो करते हैं. उन फिल्मों के लिए फॉलो करते हैं जो मैं करती हूं. पर मेरे पॉडकास्ट के जरिए कुछ लोग हेल्थ को लेकर भी जानकारी लेते हैं. क्या पता, एक दिन उनके वो काम आ जाए. उन्हें पता हो कि उन्हें आखिर जाना कहां है. मैंने जो जर्नल रखा है, उसने मेरी लाइफ को काफी बदला है. मेरी पर्सनैलिटी बदली है. मैं घबराती थी कि सक्सेसफुल हो गई तो इसको हैंडल कैसे करूंगी. पर मैंने अपने फेलियर से सीखा है. एक साल बाद मेरे एटीट्यूड में बदलाव आया है."

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