दिवाली 2025: ग्रीन क्रैकर्स को हरी झंडी मिलने का रास्ता, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

Oct 10, 2025 - 12:44
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दिवाली 2025: ग्रीन क्रैकर्स को हरी झंडी मिलने का रास्ता, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

नई दिल्ली 
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई गई है. मामले पर सुनवाई पूरी हो गई है और कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, “आपसे गुजारिश है कि इस पर संतुलित रवैया अपनाया जाए. साथ ही एनसीआर में आने वाले राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि दिवाली पर ग्रीन पटाखे छोड़ने की अनुमति दी जाए. साथ ही कहा कि लोगों को 2 घंटे के लिए ग्रीन पटाखे फोड़ने की सख्त अनुमति दी जाए.

एनसीआर राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच से कहा, “पटाखे फोड़ने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी जा सकती है, जिनमें यह भी शामिल हो कि सिर्फ NEERI की ओर से अनुमोदित ग्रीन पटाखे ही बेचे जाएंगे.” राज्यों का कहना है कि दिवाली पर पटाखे फोड़ने की 2 घंटे (रात 8 बजे से 10 बजे तक) की सख्त अनुमति दी जानी चाहिए.

कोर्ट इस पर संतुलित रवैया अपनाएः SG मेहता
दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों को मंजूरी देने की मांग पर कोर्ट में आज शुक्रवार सुनवाई शुरू हुई. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट इस मामले में संतुलित रवैया अपनाए. उन्होंने कहा कि पटाखे और लड़ियां जैसी चीजें एनसीआर में नहीं बन रही हैं और ना ही ई-कॉमर्स के जरिए बिक रही हैं. दिल्ली के अलावा एनसीआर क्षेत्र में आने वाले राज्यों ने भी बैन लगा रखा है.

उन्होंने सुझाव दिया कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के जरिए ही होनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे केवल अनुमति प्राप्त पटाखे ही बेच रहे हों. उन्होंने कहा, “एनसीआर की राज्य सरकारों, जीएनसीटीडी और पीईएसओ द्वारा यह तय किया जाना चाहिए कि फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि सहित कोई भी ई-कॉमर्स वेबसाइट कोई भी ऑनलाइन ऑर्डर स्वीकार न करे और न ही कोई ऑनलाइन बिक्री करे.”

पटाखे छोड़ने का समय तय किया जाएः SG मेहता
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि दिवाली में कुछ लोग सुबह पूजा करते हैं और पटाखे भी जलाते हैं. इस पर कोर्ट के सामने दलील रखते हुए एसजी मेहता ने कहा कि लोगों का अधिकार है कि वे अपना त्योहार मनाएं. यह नियम दिवाली, क्रिसमस और गुरु पर्व सभी के लिए रहेंगे. लोगों के जश्न मनाने के अधिकार को भी संतुलित किया जाएगा, जो शुद्ध हवा के अधिकार के लिए होंगे.

मेहता ने यह भी सुझाव दिया कि क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर, पटाखे फोड़ने की अनुमति सिर्फ रात 11.55 बजे से 12.30 बजे तक ही दी जानी चाहिए. इसी तरह गुरुपर्व पर, सुबह 4 बजे से 5 बजे तक और रात 9 बजे से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि विवाह और अन्य अवसरों पर, ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी जा सकती है. उनका कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले पटाखा निर्माण स्थलों को तुरंत सील कर दिया जाएगा.

सिर्फ पटाखों से हवा प्रदूषित नहीं होतीः याचिकाकर्ता
सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने कहा कि सिर्फ पटाखों से ही हवा प्रदूषित नहीं होती, बल्कि पराली और गाड़ियों के प्रदूषण को लेकर भी कोर्ट ने कई आदेश जारी किए हैं. पिछले आदेशों के अनुपालन की अवहेलना पर गौर किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ग्रीन पटाखों और उद्योगों के लिए फॉर्मूलेशन स्थापित करने में भारी मात्रा में धनराशि खर्च की गई है.

शीर्ष अदालत ने पिछले महीने 26 सितंबर को प्रमाणित निर्माताओं को इस शर्त के साथ ‘ग्रीन’ पटाखे बनाने की अनुमति दे दी थी कि वे बिना उसकी अनुमति के प्रतिबंधित दिल्ली-एनसीआर में इन्हें नहीं बेचेंगे. उसने केंद्र से दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध पर नए सिरे से विचार करने को कहा. दिल्ली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सहित कुल 16 जिले एनसीआर में आते हैं.

 

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