ईरान का पलटवार, इजरायल पर दागे 100 से अधिक ड्रोन, सऊदी अरब ने हमलों की निंदा की

तेल अवीव
इजरायल ने शुक्रवार की सुबह ईरान पर एक साथ कई हवाई हमले किए. दोनों देशों के बीच काफी समय से तनातनी चल रही है. इजरायल को ऐसी खुफिया जानकारी मिली थी, जिसमें ईरान में परमाणु बम बनाने के संकेत मिले थे. कई चेतावनियों के बाद आज तड़के इजरायल ने ईरान के परमाणु साइट पर हमला बोल दिया. ये हमले इतने सटीक थे कि सिर्फ ईरान स्थित परमाणु प्लांट, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों के ठिकाने ही तबाह हुए.
इजरायल के आईडीएफ ने ये स्पष्ट कर दिया है कि उनकी खुफिया एजेंसी (मोसाद) से मिली सटीक जानकारी के बाद ही ये हमला हुआ है और सिर्फ उन जगहों पर ही प्रहार किया गया, जहां उनका परमाणु कार्यक्रमऔर इजरायल विरोधी सैन्य गतिविधियां चल रही थी. जब बात इजरायल की खुफिया एजेंसी की आती है तो हर किसी के जेहन में मोसाद का नाम कौंध जाता है.
अपने कारनामों के लिए जाना जाता है मोसाद
मोसाद इजरायल की खुफिया एजेंसी है और ये दुनिया की सबसे खतरनाक और तेज-तर्रार एजेंसी मानी जाती है. इसके काम करने का तरीका इतना सटीक होता है कि दुश्मन इसके नाम से ही खौफ खाते हैं. चाहे वो हमास के छुपे हुए शीर्ष कमांडर को खोजकर मौत के घाट उतारना हो, या फिर ईरान के अतिसुरक्षित परमाणु कार्यक्रम की डिटेल उड़ानी हो. हर काम में मोसाद के तेज-तर्रार एजेंट सफाई से अंजाम देते हैं.
अब आईडीएफ ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत जब ईरान के नतांज परमाणु स्थल पर हमला किया, इसके पहले सारा होमवर्क मोसाद का था. क्योंकि ईरान पर हमले के बाद आईडीएफ ने इसकी पुष्टि भी की. यरुशल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल सैन्य अधिकारियों ने बताया कि खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिली थी कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम में काफी तेजी आई है. पता चला है कि ईरानी शासन परमाणु हथियार बनाने का प्रयास कर रही है.
इजरायल ने आपातकाल घोषित कर दिया
एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के 200 से अधिक लड़ाकू विमानों ने पहले ही ईरान के कुछ ठिकानों को तबाह कर दिया है. बदले में अगर कुछ ड्रोन या मिसाइलें इजरायल के हवाई रक्षा तंत्र को भेदने में कामयाब होती हैं तो तेल अवीव और यरुशलम जैसे शहरों में सीमित नुकसान होगा. इजरायल ने आपातकाल घोषित कर दिया है और नागरिकों को बम शेल्टरों में भेजा गया है.
असली युद्ध का खतरा अब बढ़ गया
लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि असली युद्ध का खतरा अब बढ़ गया है क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने कहा है कि इजरायल को इस हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह संघर्ष अब पूरे मिडिल ईस्ट में फैल सकता है जिसमें ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह, हमास और हूती विद्रोही शामिल हो सकते हैं. कमजोर होने के बाद भी हिजबुल्लाह लेबनान से और हूती यमन से इजरायल पर हमले तेज कर सकते हैं.
इजरायल इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठा
अगर ईरान अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है तो इजरायल इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठा. इस युद्ध में वैश्विक शक्तियों के शामिल होने की भी आशंका है जो इस युद्ध को और भी खतरनाक बना सकता है. अमेरिका पहले से ही क्लियर है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना सकता है. वह इस बात को लेकर भी क्लियर है कि वह इजरायल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उसकी सेना क्षेत्र में तैनात है.
अमेरिका यही चाहता है?
दूसरी तरफ रूस और चीन जैसे देश ईरान के साथ अपने रणनीतिक संबंधों के कारण उसका समर्थन कर सकते हैं. अगर ये देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल होते हैं तो यह एक बड़े युद्ध की आहट बन सकता है. तेल की आपूर्ति पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा. एक्सपर्ट्स का एक पॉइंट यह भी है कि ईरान का अगर किसी ने खुलकर साथ नहीं दिया तो वह कमजोर होगा. अमेरिका यही चाहता है. इसके बाद ईरान की स्थिति भी मिडिल ईस्ट के बाकी मुस्लिम देशों की तरह हो जाएगी. अब देखना होगा कि दोनों में से क्या स्थिति बनेगी.
ईरान के सारे परमाणु ठिकाने की दी सूचना
आईडीएफ के अनुसार मोसाद ने ही वो खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई थी, जिसमें हजारों किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम के उत्पादन के प्रयास के साथ-साथ अंडरग्राउंड फैसिलिटी में एटॉमिक फिजन की कोशिश करने के ठोस सबूत थे. यही वजह है कि आईडीएफ ने कहा कि ईरान के पास इतना यूरेनियम है कि वह कुछ ही दिनों में 15 परमाणु हथियार बना सकता है.
मोसाद ने किया सफाई से काम
मोसाद ने अपना काम इतनी सफाई से किया और ईरान के गुप्त परमाणु और सैन्य ठिकाने की समय रहते जानकारी अपनी सेना तक पहुंचाई. यरुशलम टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आईडीएफ ने भी कहा कि इजरायल के पास ऑपरेशन "राइजिंग लायन" के तहत हवाई हमले करने के अलावा "कोई विकल्प नहीं बचा है. क्योंकि हमें खुफिया एजेंसी से जो जानकारी मिली है, उससे ये संकेत मिलता है कि ईरानी शासन उस बिंदु पर पहुंच रहा है जहां से वापसी संभव नहीं है.
राइजिंग लॉयन के पीछे मोसाद का होमवर्क
मोसाद ने ही इजरायली सेना को ईरान के परमाणु साइट और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के अड्डे की जानकारी दी थी. इसके बाद ही राइजिंग लॉयन ऑपरेशन के तहत आईडीएफ ने ऐसा सटीक हमला किया कि सिर्फ टारगेट को ही नुकसान पहुंचा है. मोसाद से मिली जानकारी के बाद ही आईडीएफ ने अपने लक्ष्य निर्धारित किए थे. इस बारे में इजरायल की सेना ने भी बताया कि उन्होंने सिर्फ ईरानी कमांडर, बेस और परमाणु स्थल को टारगेट बनाया था. हालांकि, मुख्य लक्ष्य परमाणु स्थल ही हैं.
मोसाद की सूचना पर ही आईडीएफ ने किया सटीक हमला
मोसाद की मदद से ही आईडीएफ ने ईरान पर हमले से उस पर साइबर अटैक किया और उनके एयर डिफेंस सिस्टम को जाम कर दिया. इसके बाद सुबह ऑपरेशन राइजिंग लायन के एक-एक कर इजरायल ने ईरान के परमाणु साइट और अलग-अलग जगहों पर सैन्य महत्व के बिल्डिंग्स को निशाना बनाया. इन हमलों में नतांज का परमाणु साइट तबाह हो गया. रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर हुसैन सलामी और आईआरजीसी के मेजर जनरल गुलाम अली रशीद भी मारे गए. इसके अलावा परमाणु वैज्ञानिक डॉ. फेरेयदून अब्बासी, शाहिद बेहेश्टी विश्वविद्यालय के परमाणु इंजीनियरिंग संकाय के डीन और संकाय सदस्य डॉ. अब्दुलहामिद मिनौचेहर और प्रोफेसर अहमदरेज़ा ज़ोल्फ़ागरी की भी हमले में मौत हो गई. साथ ही सईद अमीरहुसैन फ़ेक़ी, मोतलाबिज़ादेह और मोहम्मद मेहदी तेहरांची जैसे परमाणु वैज्ञानिकों की भी मौत की बात कही जा रही है.
जब मोसाद ने उड़ाए ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज
इस हमले से पहले भी मोसाद ने ईरान को अपने कारनामें से हैरान किया है. कुछ साल पहले जब मोसाद के एजेंट्स ने ईरान में घुसकर अतिसुरक्षित ठिकानों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े 50 हजार पन्नों की रिपोर्ट चुरा ली थी. बताया जाता है कि इस काम को अंजाम देने के लिए मोसाद एजेंट एक साल से उस जगह पर नजर बनाए हुए थे और जब सही समय आया तो 6 घंटे में एक खास ऑपरेशन चलाकर महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट और न्यूक्लीयर अर्काइव उड़ा ले गए.
सऊदी अरब ने इजरायल के ईरान पर भीषण हमले की कड़े शब्दों में निंदा की
सऊदी अरब ने ईरान पर इजरायल के हवाई हमलों की कड़ी निंदा की है। सऊदी अरब सरकार ने कहा है कि इजरायल के जघन्य हमले सीधेतौर पर ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में इजरायल के हमलों को उकसावे वाली कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कहा गया है। सऊदी ने ईरान को भाई देश बताते हुए वैश्विक समुदाय से इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की है। सऊदी ने दुनियाभर के देशों और सिक्योरिटी काउंसिल से मांग की है कि इजरायल की आक्रामकता को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाएं।
सऊदी अरब का बेहद कड़े शब्दों में इजरायल के हमले की निंदा करना इसलिए ध्यान खींचता है क्योंकि उसके ईरान से रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। दोनों मुल्कों में ऐतिहसित रूप से तनातनी होती रही है। ईरान का शिया बाहुल्य शक्ति और सऊदी का सुन्नी वर्ल्ड की ताकत होना इस तनाव की एक अहम वजह रहा है। हालांकि इस मौके पर सऊदी ने पुराना तनाव भुलाकर ईरान का साथ देते हुए उसे भाई कहकर इजरायल की निंदा की है। बीते कुछ महीनों में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ईरान से रिश्ते सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं।
ईरान और इजरायल ने क्या कहा है
इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने ईरान पर शुक्रवार तड़के हवाई हमले किए हैं। इजरायल की एयरफोर्स ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया है। इजरायल का कहना है कि ईरान परमाणु बम बनाने पर काम कर रहा है। ऐसे में ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए ये कार्रवाई की गई है। इजरायल ने देश में आपातकाल लागू कर दिया है। इजरायली सरकार को ईरान की ओर से जवाबी हमलों की आशंका है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनकी फौज ने इजरायल के अस्तित्व पर ईरान के खतरे को कम करने के लिए टारगेटेड सैन्य अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि ये अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म नहीं होगा। वहीं ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा है कि इजरायल को इन हमलों के लिए सजा भुगतनी होगी। उन्होंने कहा कि इजरायली सरकार को कड़ी सजा की उम्मीद करनी चाहिए। ईरान की सेना उन्हें सजा दिए बिना नहीं छोड़ेगी।
क्या ईरान परमाणु हथियार बना रहा है?
माना जा रहा कि 2015 का समझौता टूटने के बाद (2018 से) ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन प्रोग्राम पर युद्धस्तर पर काम कर रहा है. नेतन्याहू ने शुक्रवार को कहा कि ईरान ने नौ परमाणु बमों के लिए हाई लेवल यूरेनियम तैयार कर लिया है. बीते कुछ महीनों में ईरान ने यूरेनियम को हथियार बनाने की दिशा में ऐसे कदम उठाए गए हैं जो उसने पहले कभी नहीं उठाए थे. अगर इसे रोका नहीं किया तो ईरान महज एक साल या कुछ महीनों में परमाणु हथियार बना लेगा. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी इसकी पुष्टि की है.
कितने परमाणु बम बना सकता है ईरान?
इजराइली न्यूज वेबसाइट जेरूसलम पोस्ट की माने तो यूएन की एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ईरान ने जांच में 'सामान्य सहयोग' नहीं दिखाया. एजेंसी के अनुसार, ईरान दो जगहों पर 60% तक शुद्धता वाला यूरेनियम है. अगर इसे और अधिक बेहतर किया जाए तो इससे छह परमाणु बम बनाए सकते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, नतांज के अलावा भी ईरान के कई शहरों में न्यूक्लियर सीक्रेट्स रखने होने का दावा किया जा रहा है, जहां इजरायल कभी भी अटैक कर सकता है. इनमें फोर्डो, इस्फहान, खोंदाब, बुशहर और तेहरान अनुसंधान केंद्र शामिल हो सकते हैं.
नतांज न्यूक्लियर फैसिलिटी तबाह
इजरायल ने शुक्रवार को ईरान की नतांज परमाणु फैसिलिटी पर हवाई हमले से तबाह कर दिया है, इसकी पुष्टि इंटरनेशनल परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने भी की है. इजरायल की पीएम ने कहा कि हमने नतांज में ईरान के मुख्य न्यूक्लियर प्लांट और ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को टारगेट किया है.
नतांज, तेहरान के दक्षिण में कोम शहर के पास पहाड़ों के किनारे स्थित है. नतांज़ में दो मेजर प्लांट्स हैं- पहला- फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FEP), जो जमीन के नीचे बना है और बड़े पैमाने पर यूरेनियम बढ़ा रहा है और दूसरा- पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (PFEP), जो जमीन के ऊपर है. FEP में लगभग 16,000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से 13,000 काम कर रहे हैं और 5% तक शुद्धता वाला यूरेनियम बना रहे हैं. साल 2002 में इस साइट का खुलासा हुआ था, जिसके बाद ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ा. इस साइट को इजरायल ने पहले भी साल 2021 में निशाना बनाया था.
फोर्डो
यह कोम के दूसरी तरफ पहाड़ के अंदर बना एक संवर्धन केंद्र (जहां यूरेनियम की क्षमता बढ़ने और विकसित किया जाता है) है, जो हवाई हमलों से बेहतर सुरक्षित माना जाता है. 2015 के परमाणु समझौते में फोर्डो में संवर्धन की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब वहां करीब 2,000 हाईटेक IR-6 सेंट्रीफ्यूज काम कर रहे हैं, जिनमें से 350 यूरेनियम को 60% शुद्धता तक संवर्धित करते हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साल 2009 इसका खुलासा किया था.
इस्फहान
यह ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जहां एक बड़ा न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी सेंटर है. इसमें फ्यूल प्लेट फैब्रिकेशन प्लांट (FPFP) और यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी (UCF) शामिल हैं, जो यूरेनियम को सेंट्रीफ्यूज में इस्तेमाल होने वाले यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदलता है. इस्फहान में संवर्धित यूरेनियम भी स्टोर किया जाता है. साथ ही, यहां यूरेनियम मेटल बनाने की मशीनें हैं, जो परमाणु बम के कोर के लिए संवेदनशील हैं. IAEA ने 2022 में बताया था कि इस्फहान में सेंट्रीफ्यूज के पुर्जे बनाने की फैसिलिटी भी है.
खोंदाब (पहले अराक)
यह एक आधा-अधूरा बना हेवी वाटर रिसर्च रिएक्टर है, इसे पहले अराक और अब खोंडाब कहा जाता है. हेवी वाटर रिएक्टर प्लूटोनियम बना सकते हैं, जो परमाणु बम के लिए इस्तेमाल हो सकता है. 2015 के समझौते में इस रिएक्टर का कोर हटाकर कंक्रीट से भर दिया गया था, ताकि यह हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम न बनाए. ईरान ने IAEA को बताया है कि वह 2026 में इस रिएक्टर को फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है.
तेहरान अनुसंधान केंद्र
तेहरान में परमाणु अनुसंधान सुविधाएं हैं, जिनमें एक अनुसंधान रिएक्टर शामिल है. यह केंद्र परमाणु अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है.
बुशहर
यह ईरान का एकमात्र काम कर रहा परमाणु बिजली संयंत्र है, जो खाड़ी तट पर स्थित है. यह रूसी ईंधन से चलता है और इस्तेमाल के बाद रूस इसे वापस ले लेता है, जिससे हथियार बनाने का जोखिम कम होता है.
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